लेखनी कहानी -30-Nov-2022

मेरे  जीवनसाथी
*******************************
ख्यालो का मंडप सजाया है मैने
अश्क़ो से तकिया भिंगोया है मैने
लाखो मन्नते मांगा तब जाके तुम्हे पाया है मैने
माँ बाबू जी की दहलीज पार करके तब तुम्हे पाया है मैने
कोमल से दिल को पत्थर सा बनाया है मैने 

जीवनसाथी तेरे लिए मै खुद को छोड़ आई मै 
तेरे लिए सनम देख सज धज के दुल्हन बन के आई मै 

तुम बिन दिल बहुत तड़पता है
तुझे खोने के नाम से ही डर लगता है
ये दिल सिर्फ तुमपे ही तो मरता है
अब एक पल ना मन लगता हैं
अब तो सनम करीब आओ ना
हमे अपना जीवनसाथी बनाओ ना

बिन बात के बताओ ना मुझे क्या हुआ है
लगता मुझे इश्क हुआ है कुछ तो हुआ है
रोज़ मोहब्बत करती हूं हवाओ से बाते करती हूं
दिल मेरा जज़्बाती है थोड़ी मेरी गुस्ताखी है 
ये दिल मेरा ना सुनता है टूटते तारों से मन्नत करता है 

रात को मै तकिया को तुम्हे समझ मै रात भर चुम्बन करती हूं
रातभर साजन मै तेरी यांद में बिस्तर पे आहें भरती हू
लगता तेरे पास हूँ  मै खुद हि खुद से नाराज़ हूँ मै 
ख्वाबो का ये मन्नत् टूट ना जाये
मेरा ये सपना टूट ना जाये 
कही मेरा जीवन साथी मुझसे छुट ना जाए
माँ ने नींद से जगाया है हमे 
बिस्तर से सिल्वट हटाया हैे मैने


***************************************
राजेश बनारसी बाबू
उत्तर प्रदेश वाराणसी
स्वरचित रचना
Instragram rajsingh4115
***************************************


















   18
12 Comments

Gunjan Kamal

06-Dec-2022 01:14 PM

शानदार

Reply

Muskan khan

01-Dec-2022 05:48 PM

Superb

Reply

Sachin dev

01-Dec-2022 05:08 PM

Wonderful

Reply